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khailendra khwaab

Romance

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khailendra khwaab

Romance

इतना भी आसान नहीं होता

इतना भी आसान नहीं होता

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इतना भी आसान नहीं होता एक दूसरे का हो जाना,

बस दो लोगों का याद होना और सबको भूल जाना,

शीशे में खुद को देखना मगर

किसी और का अक्स याद करके मुस्कराना !


किसी खास का खास बनना 

और सबके लिए आम हो जाना ,

खुद रात भर बेचैन रहना और किसी को चैन से सुलाना !


हर हार‌ को दरकिनार करना और उनको गले लगाना,

उनका हमसे पराया होना मगर हमारा सिर्फ उनका हो जाना,

सही‌ होने पे भी खुद को ग़लत कहना उनको हर बार सही ठहराना ! 


दुनिया से बगावत करना और फनां हो जाना 

अंदर से दिल का रोना मगर उपर से मुस्कुराना‌,

उनका हमें भुला देना मगर हमें उनका बार-बार -लगातार याद आना !


अरे इतना भी आसान नहीं होता "ख़्वाब" 

किसी को अपना "ख़्वाब" बनाना !


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