STORYMIRROR

Bikramjit Sen

Abstract

3  

Bikramjit Sen

Abstract

इस संसार में आप भी हैं

इस संसार में आप भी हैं

1 min
200

इस संसार में आप भी हैं,

मैं भी हूँ

फर्क सिर्फ इतना है,       

आप एक दिन, 

धुआँ हो जाएंगे,


रॉक बन, 

किसी नदी में घुल जाएंगे

मिट्टी में मिल जाएंगे,

पशुओं का स्वादिष्ट

आहार बन खिलखिलाएंगे।


मुझ लेखक को

इतनी समझ कहाँ ?

खुद का नाम,

चिर अमर नहीं किया,

तो क्या किया ?


खुद को मरणोउपरान्त भी

जीवित न रखा,

तो मनुष्य होने पर गर्व कहाँ !

उच्च कोटी एहसास कहाँ ?                                         


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract