इंतज़ार
इंतज़ार
उस भोर जब तुमने
मुड़ कर नहीं देखा
कितनी वीरान शामे
इस मलाल में निकल गई
तुम आओगे तुम आओगे
तुम जरूर आओगे इस उम्मीद में ,
कितनी मेरी बाकी रातें
तेरे इंतज़ार में गुज़र गई ।
उस भोर जब तुमने
मुड़ कर नहीं देखा
कितनी वीरान शामे
इस मलाल में निकल गई
तुम आओगे तुम आओगे
तुम जरूर आओगे इस उम्मीद में ,
कितनी मेरी बाकी रातें
तेरे इंतज़ार में गुज़र गई ।