हरियाली पृथ्वी
हरियाली पृथ्वी
स्वर्गतल की सुुंदरता को
प्यारी पृथ्वी ने समेटा है,
इसके रूप का बखान
सबने यहाँ पर किया है।
हरी-भरी इस पृथ्वी को
हम सबको रखना है,
फले-फूले धरा हमारी
बस यही एक सपना है।
लहलहाते हुए खेत-खलिहान
सबसे बड़ा होता श्रमदान,
किसानों-जवानों की धरा
है हमारी बहुत ही महान्।
समय-समय पर इसका
भरत-पोषण करना होगा,
इसकी स्वच्छता का ख्याल भी
हमें ही रखना होगा।
सागर, पर्वत और उपवन सारे,
पशु-पक्षी लगते हैैं सब प्यारे।
जंगलों और नदियों का
फिर से विस्तार करना होगा,
तभी हमारी धरा का
सुखमय हर एक कोना होगा।
सदा महक बनी रहे
इस पृथ्वी की हमारी,
इसके लिए उठानी होगी
मिल-जुल कर यह जिम्मेदारी।