हम भी इश्क की जुबान सीख लें
हम भी इश्क की जुबान सीख लें
आने से उन के महफिल में,
चांद जमीन पर उतर आया।
कुछ हाथ उनकी तरफ बढ़े,
उनको थाम लेने को,
अजी इश्क ही तो है,
आज यहां फरमाया, कल कहीं और फरमाया।
कुर्बान होने वाले इश्क पर,
ना जाने कहां खो गए,
बड़ी शिद्दत से निभाते थे,
वह इश्क अपना,
रहे पास या कोई दूर जितना,
आज पास होकर भी इश्क में वह बात नहीं रही,
डूबी कश्ती दरिया में,
कोई साहिल ना आया।
चलो हम भी इश्क की जुबान सीख ले,
सबसे मोहब्बत से पेश आएं,
सबकी खैर ख्वाह लें,
ना जाने कौन से दिल में,
खुदा का फरमान आया।
न जाने कौन से दिल में, खुदा का फरमान है।।