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महिपाल सिंह मोकलसर

Abstract

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महिपाल सिंह मोकलसर

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हे क्षत्रिय

हे क्षत्रिय

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नगाड़े ढोल शंख बजाओ

भोपो से कहो थान पर

बकरो-पाडो को

खड़ा करैं बलिवेदी पर


छांटे डाल पवित्र गंगाजल के

अबोट करे

मन्दिर परिसर

गोबर से निपाओ आंगणा

दीये भरो घृत के


हे ! क्षत्रियों करो रियाण  

करो मनवार

बांध केशरिया 

हाथ ले खाग

लेकर कसुम्बा हाथ में


ड़िंगळ गीतों से आराधन कर भवानी का

जयघोष कर

धुजाओ पृथ्वी को

डराओ दुष्ट आत्माओं को


कूद पड़ो

समरांगण में

यह वेला है

आत्मबल से स्वाभिमान को सींच

अपने पौरुष का प्रमाण देने का

भयंकर से भयंकर युद्ध करो


व्यभिचारियों की आतड़िया काढ़

खिलाओ गिध्दों को

भरो खप्पर कालिके का

करो तृप्त उन पवित्र आत्माओं को

जो बने है कालग्रास

दुष्ट भीड़ के


वो देखो 

स्वर्गलोग की अप्सराए 

तुम्हें वरने को आतुर है

तुम जैसा वीर धीर गम्भीर पुरूष ही

इतिहास लिखेंगे

और युगों युगों तक

याद रखे जाएंगे।


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