हाँ, मैं हक़लाता हूँ
हाँ, मैं हक़लाता हूँ
हाँ, शब्दों के बीच में अटक जाता हूँ
साँसे फूलने लगती है बात करते करते
मैं दो शब्दों के बीच में भटक जाता हूँ
हाँ, हाँ मैं हकलाता हूँ
रुक रुक के निकलती हैं बातें मेरी
बोलते बोलते थमती हैं सांसे मेरी
मजाक बनता हूँ रोज़ मैं, सुबह और शाम
रो रो के गुज़रती है रातें मेरी
बातें मेरी दिमाग में बहुत तेज़ चलती है
पर ज़ुबान लड़खड़ा जाती है
अक्सर बंद हो जाती है हलक से आवाज़
और वो मुझे हकला बना जाती है
वो जो पल होता है, शब्दों के अंतराल में
लगता है निकल रही है सातों जाने मेरी
रब ! ख़फ़ा नहीं हूँ तुझसे मैं, न तेरी ग़लती है
कम से कम लोग ध्यान से सुनते हैं बातें मेरी
हाँ, मैं दो शब्दों के बीच में भटक जाता हूँ
हाँ, मैं बोलते बोलते अटक जाता हूँ
हाँ, साँसे फूलने लगती है बात करते करते
हाँ !हाँ ! मैं हकलता हूँ ।
हाँ !हाँ! मैं हकलाता हूँ ।
हकलाता हूँ अपंग नहीं हूँ
ये मेरा खुद का लहज़ा है
हकलाना वो सन्नाटा है जो शब्दों के अर्थ
समझने के बीच में आता है
जैसे की तुम्हारे कथनी और तुम्हारे करनी
के बीच में जो सन्नाटा छा जाता है
वो कहते हैं कि लोगों को समझा नहीं पाउँगा
वो कहते है कि नौकरी का इंटरव्यू नहीं निकाल
पाउँगा
वो कहते है कि मैं अभिनय नहीं कर पाउँगा
वो कहते है कि मैं जीते जीते जी मर जाऊँगा
लेकिन ये मेरी भाषा है, ये भगवान की भाषा है
क्योंकि जब उसने हमे बनाया तो वो भी था
हकलाया
अगर ये गलत है तो ये बताओ क्यूँ एक शब्द ने
अलग अलग अर्थ है पाया
अगर सब हकले होते तो शायद मैं इस समाज
में फिट होता
लोगों के सामने सर उठाता और हर जगह
हिट होता
पर भूलो मत हकला हूँ, कला में लेकिन कमी नहीं हैं
मुस्कान है चेहरे पे आँखों में नमी नहीं है
तो ये है जवाब जो मुझे समझ नहीं पाये
क्यूंकि अब चढ़ेगी साँस मेरी अब मुझे कोई रोक न पाये
क
कलम कमाल कविता करामात कृष्ण की
ख
खेल खराब खतरनाक खयालात
ग
गाँव गवांया गमगीन गुनाह
घ
घसीटा घमण्ड घनघोर घमासान
च
चतुर चमचे चमके चमाचम
छ
छटी छतरी छटके छमाछम
ज
जय जवान जंग जहान
झ
झूठा झड़प झंडा झँपान
ट
टंकण टंटा टेंटुआ टहनी
ठ
ठंड ठुकरा ठग ठहरौनी
ड
डगमगाती डगरिया
ढ
ढकेला ढिमरीया
त
तेज़ तर्रार तंत्र तमाशा
थ
थेथर थर्राता थप्पड़ थमाता
द
देश दिखावा देता दुहाई
ध
धन धमाका धधक धीमाई
न
नमक नहीं नंगी निगाहें
प
पहले पूंछे पश्चात पहचाने
फ
फल फलता फलाने फसाने
ब
बहुत बदमाश बताया बचपन
भ
भयंकर भरोसा भरम भंजन
म
मैं मोहित मानवता मंत्र
य
यहाँ याराना यमक यन्त्र
र
राम राखे रूप रावण
ल
लालसा लेकर लगता लांछन
व
विष वास वहाँ विश्वास विरत
श
शतरंज शातिर शक्ल शरत
ष
षड्यंत्र षोडश षोदल षष्ठ
स
सत्ता सृजन से संत्री स्वस्थ
ह
हथियार हाथ हो हानि हश्र
क्ष
क्षुद्र क्षेमक क्षमा क्षिप्रहस्त
त्र
त्राटक तृष्णा त्राहि
ज्ञ
ज्ञापक ज्ञप्ति ज्ञानी
36 वन्यजनों में इस दुनिया की कहानी
हकला हूँ पर ज़ुबान मेरी है सयानी
शब्दों से खेलता हूँ अटक के ही सही
क से कवि हूँ ज्ञ से हूँ ज्ञानी
क से कवि हूँ ज्ञ से हूँ ज्ञानी ।
