हाइकु-किसान
हाइकु-किसान
श्रम करता
हमेशा लगातार
सुकून कहाँ।
पसीना बहे
सुकून भी न पाये
किस्मत देखो।
बड़ा कठिन
किसान का जीवन
रहती कमी।
थकता भी है
पर रुकता नहीं
ये है किसान।
घाटे का सौदा
जानता है किसान
कैसे करता।
धरती माँ है
कैसे दूर हो जाऊँ
जीऊँगा कैसे।
नियत मेरी
लाभ या फिर हानि
मिले सुकून।