गलती
गलती
जानबूझकर न सही
कभी-कभी अनजाने से
हो जाता है।
क
भी-कभी दूसरे की
मुस्कुराहट छीनता है तो
कभी-कभी खुद का
दिल दुःखता है।
गलती
ठीक न हो सही
कभी-कभी
बहुत कुछ सीखता है।
गलती करने पर ही
इंसान सच्चाई को जानता है
खुद को पहचानता है।
क्या गलत क्या सही
नियम की एक
लम्बी लकीर है
कभी-कभी गलत भी
ठीक लगता है तो
कभी-कभी ठीक भी गलत।
इस गलती को समझना
मुश्किल हो जाता है।
गलती कभी-कभी
माफी के काबिल
कभी-कभी दण्ड के
हकदार होता है।
जो यह सुधार सके
वो महानता का दावेदार बनता है।
