गीता से उत्तर पाया
गीता से उत्तर पाया


जब जब भ्रम और भय ने मन भरमाया
कर्तव्य अकर्तव्य के विकट जाल में फँसाया
तब तब गीता से उत्तर पाया
जब जब कर्म की कठिन डगर पर डगमगाया
पाप पुण्य के पारावार में गोता खाया
तब तब गीता से उतर पाया
जब जब सगुण निर्गुण की लहरों में लहराया
मोह माया के बंधनों ने उलझाया
तब तब गीता से उत्तर पाया
जब-जब निष्काम कर्म का अर्थ समझ न आया
कर्ता अकर्ता का निश्चय भी मैं न कर पाया
तब तब गीता से उत्तर पाया
जब-जब जीवन और मोक्ष का मर्म न पाया
परा अपरा की श्रेष्ठता ने उलझाया
तब तब गीता से उत्तर पाया
जब जब आत्मा के रहस्यों से न परदा उठा पाया
जन्म मरण के सत्य को न जान पाया
तब तब गीता से उत्तर पाया
कृष्ण कृपा से जाना मैंने
मोक्ष नहीं जीवन है सच्चाई
कर्म करने में ही है इंसान की भलाई
कर्मण्य वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्
में जीवन की पूंजी समाई
मानवता को राह दिखाने
कृष्णा ने गीता की ज्योति जगाई।