STORYMIRROR

Neelima Shekhawat

Inspirational

4  

Neelima Shekhawat

Inspirational

गीता से उत्तर पाया

गीता से उत्तर पाया

1 min
90


जब जब भ्रम और भय ने मन भरमाया 

कर्तव्य अकर्तव्य के विकट जाल में फँसाया 

तब तब गीता से उत्तर पाया

जब जब कर्म की कठिन डगर पर डगमगाया


पाप पुण्य के पारावार में गोता खाया

तब तब गीता से उतर पाया 

जब जब सगुण निर्गुण की लहरों में लहराया

मोह माया के बंधनों ने उलझाया


तब तब गीता से उत्तर पाया

जब-जब निष्काम कर्म का अर्थ समझ न आया 

कर्ता अकर्ता का निश्चय भी मैं न कर पाया 

तब तब गीता से उत्तर पाया


जब-जब जीवन और मोक्ष का मर्म न पाया 

परा अपरा की श्रेष्ठता ने उलझाया

तब तब गीता से उत्तर पाया

जब जब आत्मा के रहस्यों से न परदा उठा पाया


जन्म मरण के सत्य को न जान पाया

तब तब गीता से उत्तर पाया

कृष्ण कृपा से जाना मैंने 

मोक्ष नहीं जीवन है सच्चाई 


कर्म करने में ही है इंसान की भलाई 

कर्मण्य वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्

में जीवन की पूंजी समाई

मानवता को राह दिखाने

कृष्णा ने गीता की ज्योति जगाई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational