गीत, उतना ही सुख पाएगा
गीत, उतना ही सुख पाएगा
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बोझ पाप का तेरे ढोने
दूजा कोई न आएगा।
जितना बोझा कम रखेगा ,
उतना ही सुख पाएगा।।
खुशियों के पल हमने देखे,
मदद करो तब आते है।
भार उठाने से दूजों का,
और हँसी बन जाते है।।
हर बाधा संकट से तुझको,
करना मदद बचाएगा।
जितना बोझा कम रखेगा,
उतना ही सुख पाएगा।।
खुशियां नहीं खरीदी जाती,
दौलत से ये याद रहे।
सदा गरीबी में रह कर भी ,
संत सदा ही शाद रहे।।
दौलत का चक्कर तो गम में,
और तुझे उलझाएगा।
जितना बोझा कम रखेगा,
उतना ही सुख पाएगा।।
सुख दुःख से मन का रिश्ता है,
तन तो फकत नुमाईश है।
दुनिया में उलझाए रखने ,
की केवल एक साजिश है।
दुखियारे धनवान बहुत है,
कब ये समझा जाएगा।
जितना बोझा कम रखेगा,
उतना ही सुख पाएगा।।
धन के पीछे पाप जुड़े है,
हर पापी को मान मिले।
निर्धनता में दर्द भले हो,
इंसान को सम्मान मिले।।
करुणा रखने वाला मन में,
करुणाकर कहलाएगा ।
जितना बोझा कम रखेगा,
उतना ही सुख पाएगा।।