एक तमन्ना है मेरी
एक तमन्ना है मेरी
एक तमन्ना हे मेरी,
उगता हुआ सूरज को देखने की,
उस ममता भरे मिट्टी में,
मेरे दो कोमल पैरो को धरती पे थामने की,
ये तमन्ना हे मेरी।
खुले आसमान के नीचे,
उन गुजरती हुई हर उस बादल को चुने की,
सावन की पहेली बारिश में भीगने की,
ये तमन्ना हे मेरी।
कुछ ही तो दिन हुआ था,
सबको ख़ुशी भी थी मेरे आने की,
क़यामत सा लगा तब जब जाना,
के उनको तो इंतजार था तो
किसी और की आने की।
ये तो तमन्ना ना था,
दुनिया की इन गंदे विचारों में सिमटने की,
चलो अच्छा हुआ मौका ना मिला पैदा होने की,
आज़ादी मिला पैदा होने के बाद
फिर से दफ़न होने की।