एक सुबह जब इश्क हुआ था !
एक सुबह जब इश्क हुआ था !


चार बजे थे सुबह के,जब इश्क हुआ था।
एक पहाड़ से उतर रहे थे, लौट रहे थे शूटिंग से कोहरा था,
धुंधली - धुंधली सी रौशनी थी कार की दोनों बत्तियाँ।
आँखें मल - मल के राह हूँढ रही थीं
नींद में भी तुम थोड़ा - सा मुस्काई वक्त इबादत का था वो,
सच कहने की बेला थी चार बजे के आसपास का वक्त था
एक सुबह जब इश्क हुआ था !