एक खोज हमारी- कोरोना महामारी
एक खोज हमारी- कोरोना महामारी
संकरे रास्तों पर,
एक झुंड चला आता है।
आँखों में उनकी,
पानी उमर आता है।
विधान देखकर विधि का,
अचरज हो आता है।
कोरोना ये क्रूर,
कयामत लिए आता है।
पेट की आग से,
बेचारा गरीब जला जाता है।
देख त्राहि चारों ओर,
मेरा हृदय फटा जाता है।
हमारी असमर्थता पर,
करून रोष हो आता है।
एक कीटाणु के कारण,
देश कब्रिस्तान बना जाता है।
मानव जाति शर्म करो,
प्रकृति के उत्थान हेतु कर्म करो।
आंखें नहीं खुली क्या अब भी ?
रहम करो, रहम करो, स्वयं पर रहम करो।