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Mukesh Negi

Abstract

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Mukesh Negi

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एक एहसास

एक एहसास

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तुम दूर रहती हो तो एक एहसास होता है

तुम्हारी याद में दिल उदास होता है

चलो चले हम कहीं दूर जहान से

जहां खुशियों का मंजर पास होता है।


एक सपना देखा था मैंने

जहां सिर्फ तुम और हम थे

खुशियों से झलकती वादियां

बस थोड़े ही गम थे।


बहुत सुकून मिलता है मुझे

जब तुम हमेशा दिल के पास रहती हो

आंखों में आंखें डालकर 

हमेशा कुछ न कुछ कहती हो।


बड़ा अच्छा लगता है हमें

जब सुहाना सा हर मंजर लगता है

लेकिन कभी-कभी

खुशियों का क्षण भी बंजर लगता है।


कितने नादान थे हम

जो समझ ना पाए

इश्क में हार भी मिलती है

दुनियां इश्क से नही

इश्क करने वालों से जलती है।


एक एहसास जो हर क्षण हमें

वह याद दिलाता है

जिसे चाहकर भी

दिल कभी भूल नहीं पाता है।


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