"दुख की बातें अजीब सी लगती"
"दुख की बातें अजीब सी लगती"
दुख की बातें अजीब सी लगती जीवन की परेशानी में
बच्चा तड़पता दूध के खातिर मां कुछ ना कर पाती है
अब घर के मेम्बर खाने को तरसे
नयन अश्रु भर जाती है
दुःख की फीलिंग अब सबको ठीक
समझ में आती है।।
चुभती ये सब बातें
अब नहीं मधुरता रह गई अब किसी की भी वाणी में
दुःख की बातें अजीब सी लगती जीवन की
परेशानी में।।
घर के सामने से जब किसी की अर्थी जाती है
रोम खड़े हो जाते तन दुःख में विलीन हो जातें हैं
प्रीचर प्रीच करता वो तो एक डोर थी
टूटती जैसी लगती वास्तविक इंसानी में
दुःख की बातें अजीब सी लगती
जीवन की परेशानी में।।
