धर्म है मेरा
धर्म है मेरा
बिना रुके- बिना झुके
चलते जाना कर्म है मेरा
बिना थके -बिना थमे
देश की रक्षा धर्म है मेरा
डर तो हमें भी है कुछ बातों का
चिंता में पता नहीं चलता रातों का
बर्फ की चादर से ढके हैं
फिर भी डटकर खड़े हैं
मातृभूमि की रक्षा में
भारत माँ के वीर जवान अडे हैं
मौसम की तरह घर की याद सताती है हमें
माँ की गोद, पापा की डाँट, बहन की राखी बुलाती है हमें
पत्नी का प्रेम और नन्ही जान की किलकारी रुलाती है हमें
लेकिन उससे ऊपर
मातृभूमि की रक्षा बुलाती है हमें
याद रखना इन बातों को
यह जंग मेरे लिए विशेष है
मेरी मातृभूमि के लिए मेरी जान भी पेश है
अरे रुको जरा
अभी मेरे अंदर खून का एक कतरा शेष है
खून का एक कतरा शेष है|