देश की मिट्टी !
देश की मिट्टी !
ख्वाबों और ख्वाहिशों का
समंदर लिए हथेली पर
फिरते हैं हम यहां-वहां
अपने देश की ख़ातिर
जो है हमारी आन-बान-शान
जिस मिट्टी का खाते हैं अन्न
वो मिट्टी है इस देश के -
भक्तों की
वीर जवानों की
स्वतंत्रता सेनानियों की
वीर माताओं की
गौतम बुद्ध
और
राम-कृष्ण की
ऐसी है इस देश की मिट्टी
अति निराली है ये मिट्टी !