देश का सैनिक
देश का सैनिक
मैं इस भारत देश का
ज़ख्मी सैनिक हूं,
भले ही सरहद-ए-सरजमीं
पर रेंगता हूं,
पैरो से फिसलता हूं,
बदन से छ्ल्ली हूँ ,
हौसले फिर भी
सर-परस्त है मेरे,
मुश्किल हो भले ही
राह आगे मेरी,
चाह जीने की फिर भी
बुलंद है मेरी,
जब तक है बाकी खून का
आखिरी कतरा मुझ में,
इस देश की कतरा
भर जमीं पर पड़ी
हर एक आँख को
नोच लूंगा मैं ...
