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Chandra Bhushan Singh Yadav

Abstract

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Chandra Bhushan Singh Yadav

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"ढोंग और पाखंड नाश का व्रत हम सबको लेना होगा।"....

"ढोंग और पाखंड नाश का व्रत हम सबको लेना होगा।"....

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ढोंग और पाखंड नाश का व्रत हम सबको लेना होगा।

तोड़-छोड़ आगे बढ़ना है,पुरखों ने दुख जो है भोगा।।

कहाँ,कौन नारायण है ?

जो कथा कहाते घर के अंदर।


मंगल का व्रत रखते हो क्यों ?

रक्षा कर सकता कोई बंदर ?

सुख की छाया कहाँ वहां है ?

झूठे ढूंढो मन्दिर-मन्दर।


तर्क करो और गोते मारो,

डूब-डूब के ज्ञान समंदर।

युग मंगल पर जाने का है, शिक्षा नही तो रोना होगा।

ढोंग और पाखंड नाश का व्रत हम सबको लेना होगा।।


हर पिंडी भगवान बताते,

मेवा-रबड़ी उन्हें चढ़ाते।

पत्थर भी खा सकता है क्या ?

हमको झूठी बात बताते।।


धर्म नाम पर जाति बनाके,

हमको तुम हो खूब सताते।

'गर्व करो कि हिन्दू हो'

ये नारा हमसे हो लगवाते।।


सदियों से जो हक लूटे हो, हिस्सा उसमें देना होगा।

ढोंग और पाखंड नाश का, व्रत हम सबको लेना होगा।।


 भगवानों के चमत्कार भी,  

अजब-गजब तुम हमें सुनाते।

कोई सूरज निगल गया,

तो किसी को तुम चंडी बतलाते।।


सारी झूठी बातें तुमने,

वेद-शास्त्र में लिख डाला है।

इसको कैसे धर्म कहूँ मैं,

यह तो पूरा विष प्याला है।।


"प्रहरी"लूट रोकने खातिर, आंख खोल,ना सोना होगा।

ढोंग और पाखंड नाश का, व्रत हम सबको लेना होगा।


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