दौर
दौर
एक ये दौर है, एक वो भी दौर था,
यह सब समय का खेल, तू केवल मन को बहला।
जो आज नहीं है तेरे पास, वो कल तक तो था,
क्या किया तूने ऐसा, स्वयं से तो पूछ ज़रा।
पर समय का यह खेल, हर क्षण बदलता है,
चर प्रकृति इसकी, बस तू उचित पथ पर चले जा।
माना तेरा जीवन, तटस्थ सा अभी, पर यह किसने कहा,
कि यह परिवर्तित ना होगा कभी।
दौर सब आएंगे, और सब बीतेंगे, खुशी से इनको जी,
अन्यथा काटना सीख जा।
एक ये दौर है, इक वो भी दौर था।।।