चलोगे क्या फरीदाबाद?
चलोगे क्या फरीदाबाद?
रिक्शेवाले से लाला पूछा,
चलते क्या फरीदाबाद ?
उसने कहा झट से उठकर,
हाँ तैयार हूँ ओ उस्ताद।
मैं तैयार हूँ ओ उस्ताद कि,
क्या सामान तुम लाए साथ?
तोंद उठाकर लाला बोला,
आया तो मैं खाली हाथ।
आया मैं तो खाली हाथ,
कि साथ मेरे घरवाली है।
और देख ले पीछे भैया,
थोड़ी मोटी साली है ।
मोटी वो मेरी साली कि,
लोगे क्या तुम किराया ?
देख के हाथी लाला,लाली,
रिक्शा भी चकराया।
रिक्शावाला बोला पहले,
देखूँ अपनी ताकत ।
दुबला पतला चिरकूट मैं,
और तुम तीनों हीं आफत ।
और तुम तीनों आफत,
पहले बैठो तो रिक्शे पर,
जोर लगा के देखूं क्या ,
रिक्शा चल पाता तेरे घर ?
चल पाता है रिक्शा घर क्या ,
जब उसने जोर लगाया ।
कमर टूनटूनी वजनी थी,
रिक्शा चर चर चर्राया ।
रिक्शा चर मर चर्राया,
कि रोड ओमपुरी गाल।
डगमग डगमग रिक्शा डोला,
बोला साहब उतरो फ़िलहाल।
हुआ बहुत ही हा
ल बुरा,
लाला ने जोश जगाया।
ठम ठोक ठेल के मानव ने,
परबत को भी झुठलाया।
परबत भी को झुठलाया कि,
क्या लोगे पैसा बोलो ?
गश खाके बोला रिक्शा,
दे दो दस रूपये किलो ।
दे दो दस रूपये किलो,
लाला बोला क्या मैं सब्जी?
मैं तो एक इंसान हूँ भाई,
साली और मेरी बीबी ।
साली और मेरी बीबी फिर,
बोला वो रिक्शेवाला ।
ये तोंद नहीं मशीन है भैया,
सबकुछ रखने वाला।
सबकुछ रखने भाई,
आलू और टमाटर,
कहाँ लिए डकार अभी तक,
कटहल मुर्गे खाकर।
कटहल मुर्गे खाकर कि,
लोगों का अजब किराया ।
शेखचिल्ली के रूपये दस,
और हाथी का भी दस भाड़ा?
अँधेरी है नगरी भैया,
और चौपट सरकार।
एक तराजू हाथी चीलर,
कैसा ये है करार?
एक आँख से देखे तौले,
सबको अजब बीमार है । .
इसी पोलिसी से अबतक,
मेरा रिक्शा लाचार है। .