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Aditya Punde

Abstract Drama

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Aditya Punde

Abstract Drama

चलो इस महामारी से लड़ते है

चलो इस महामारी से लड़ते है

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चलो इस महामारी से लड़ते है,

अरे बाकी कुछ नहीं करना है जनाब,

बस घर में ही बैठते हैं।


चलो एक बार सरकार पर

भरोसा कर के देखते है,

और हाथ जिम्मेदारियोंसे नहीं,

साबुन से धोकर देखते हैं।


बाकी लोग मर रहे है तो मरने दो हमे क्या है,

सोचो अगर यही सोच हमारे doctor,

police और हर वो इंसान जो बाहर जाके

इस virus से लड़ रहा है वो रखते तो

क्या आज हम ज़िंदा तक होते ?


तुम जितनी बार भी भगवान का बहाना बनाकर

बाहर निकलते हो, वो भगवान

उतनी बार खुद को कोसता है,

कि मैंने सिर्फ इनके मंदिर या मस्जिद में

जगह बनाई है,ना कि इनके दिलों में।


अगर मैं सच मे इनके दिलो मैं होता ,

तो ये लोग मेरे ही किसी औऱ बच्चों को

खाना सिर्फ तस्वीर के लिए नहीं देते।

सच कहे तो हम बचाने के भी परे हो गए हैं,

क्योंकि जो खुदकी पर्वा किये बगैर

हमारी सेवा कर रहे हैं हम तो

उन्हीं पर वार कर रहे हैं।


पर हम चाहे कितनी भी कोशिश करे,

हमारे यहाँ है कुछ ज़िद्दी लोग,

जो इस मरी हुई इंसानियत को

फिर ज़िंदा कर देंगे,

इस बेएहसास जहाँ को फिर

उठाकर खड़ा कर देंगे।


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