चल दिया हु
चल दिया हु
चल दिया हूँ
लेकर खामोसी बडी रातों सी
जिंदगी से सुलजे ये मेरे कदम है
जागा सा अहसास हुआ किसी अकेले को
संगी, फ़िकर, परवाह न भ्रम है
सब होकर भी अकेले थे
न अपना, न दोस्त, न यार था:
नारज जी नी, नारंदाजी थि
साथ, प्यार सब रचना सब जूथा सार था
सीख गया हूं जिंदगी से नरंदाजगी में भी
न परवाह न लिहज न श्रम है
चल दिया हु अकेला
लेकर उम्मीद बड़ी रस्तो सी
सुलझे से ये मेरे कदम है।