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kaushik mehta

Abstract

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kaushik mehta

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चिड़िया के साथ चर्चा

चिड़िया के साथ चर्चा

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एक चिड़िया मेरे फ्लेट की खिड़की

पर आई, फिर वो हॉल में,

फिर रूम में गई

वैसे ही जैसे ससुराल से थोड़े दिन के

लिए आई बिटिया

पूरे घर में फिरती है


मेरी बेटी को भी

प्यार से कभी कभी चिड़िया

बुलाता हूं


मैंने चिड़िया के साथ

बातचीत शुरू की


मैंने पूछा की

हमने तो बिल्डिंग के पार्किंग में

कई जगह चिड़िया घर रखे है

लेकिन उस में तो तू नहीं आई

और आज अचानक क्यों ?


चिड़िया ने कहा,

ऐसा कुछ रहने कहाँ दिया है

बर्तन रखते थे वो शेल्फ कहा है

और वो थोड़ी टेढ़ी फोटो फ्रेम भी नहीं

कहाँ बनाऊं मैं मेरा घोंसला ?


वो तो इस फ्लेट में भी कहाँ ?

तो भी तू आई है

मैंने चिड़िया को आड़े हाथ लिया


चिड़िया बोली ,

आप अपनी बेटी विदा करने के बाद

जो अकेलापन महसूस करते हो

वैसा ही अकेलापन हमने महसूस किया है


तो फिर वापिस क्यों आई ?

मैंने फिर पूछा


चिड़िया ची ची करती बोली

आप का

अकेलापन दूर करने


चिड़िया मेरी बेटी की तरह मुझे

इमोशनल ब्लेकमेलिंग कर रही थी


मैंने फिर पूछा घूमा फिरा के बात न कर

क्यों आई हो, वो बता


चिड़िया बोली ,

आप को याद दिलाने आई हूं की

थोड़ा ठहर जाओ

दौड़े बहुत अब थोड़ा आराम भी कर लो

पैसा वैसा ठीक है

लेकिन प्रकृति का क्या?

भौतिकता की धूम मची है

और आपको सांस लेने में

दिक्कत होने लगी है


मुझे मन ही मन

आया गुस्सा

एक छोटी सी चिड़िया

हम को सिखायेगी

की हमें कैसे जीना ?


मैंने ऊँची आवाज़ में कहा

उपदेश मत दो

हमारे यहाँ ऐसे लोगों की

कोई कमी नहीं


चिड़िया भी थोड़ी तिलमिला गई

और बोली

आप को हमारा कल शोर कहाँ पसंद है

आप शोर के आदि हो गए हो

आप उसी के लायक हो

कोई जानलेवा वायरस ही

आप की शान ठिकाने

ला सकता है


मैंने दबी हुई आवाज़ में कहा

ऐसा तो नहीं है


चिड़िया ने मेरी बात काटते

हुऐ कहा

देखो हवा कितनी

शुद्ध हो गई है

आकाश उड़ने जैसा हो गया है

और चिड़िया ने अपनी पंख पसारी

उड़ान भरी


मैंने पूछा,

अरे कहाँ चली, फिर

कब आओगी ?


उसने कहा,

अपनी बेटी को याद करना

वो आये के न आये

मैं आ जाउंगी

आप की बेटी को तो

दूसरा घर मिल गया है

मुझे तो वापिस आना है

बशर्ते आप के घर में

मुझे अपना घर करने दो


अब मैं दो चिड़िया की

राह निहारता हूं

कौन जाने

कौन कब आ जाए ।।।



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