चाय की प्याली
चाय की प्याली
कभी मिलकर बैठा करो
संग एक चाय की प्याली के साथ
कुछ अपनी कहो कुछ मेरी सुनो।
कुछ बीती बातें कुछ आज की कहो
दिल हल्का हो जाता है
जब ज़िक्र कुछ पुराना हो।
दिन यूँ हीं मुस्काता है
जब बात कुछ याराना हो।
मिट्टी की सोन्धी खुश्बू
महक उठतीं है अचानक ऐसे ही
जब चूल्हे की रोटी की बात हो।
जब कटी पतंग का अफ़साना हो
भरी दोपहर।
