बसंत आ गया है....
बसंत आ गया है....
आशा के मनोहर मोती लेकर,
उम्मीदों के दीप जलाकर।
हृदय में उमंग की बौछार करके,
मन में थोड़ा इठलाकर।
खेतों में लहराता हुआ,
बसंत आ गया है।
अनुपम से बंधन में बाँधने,
नेत्रों में स्नेह के स्वप्न दिखाकर।
निन्दा को मन से दूर भगाने,
प्रेम की नई परिभाषा लेकर।
सबको हृदय से लगाता हुआ,
बसंत आ गया है।
सखियों को मिलकर गीत सुनाने,
आली समूह में आगन्तुक बनकर।
देख हर्षाये, मन में मुस्काये,
आनंदमय हो शरमाकर।
प्रेम गीतों को गुनगुनाता हुआ,
बसन्त आ गया है।
बनकर शांति दूत इस जग में,
संदेशा समृद्धि का देकर।
पंछियों सा आसमान में उड़ता,
आधुनिकता का बोध कराकर।
हवाओं में बहता हुआ,
बसंत आ गया है।