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Harshal Baxi

Romance

4  

Harshal Baxi

Romance

बस एक आदत थी...

बस एक आदत थी...

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वो भीगने की चाह में 

बारिश की राह देखना,

वो जान बूझ के 

बिना छाता लिए 

घर से निकलना,

वो छोटे छोटे कदम

भर के एक लंबी

मुलाकात का सपना देखना...


बस एक आदत थी...


वो एक ही भुट्टा

मिलजुल के खाना

वो गर्म चाय की

प्याली से उठती

भांप में अपने

प्यार को सजाना

वो खुले आसमान

से गिरते मोती

को हाथो में समेटना...


बस एक आदत थी...


वो बारिश की

मधुर आवाज के साथ

तेरा भी गुनगुनाना

वो दिल में मचलते

जज़्बातो का इजहार करना

वो धरती का

बारिश को बाहों में लेना

और तेरा

मेरी आगोश में आना...


बस एक आदत थी...



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