बरसात और लॉकडाउन
बरसात और लॉकडाउन
लोक डाउन है आया ।
संग अपनों की फुर्सत लाया।
जिन लोगों ने कभी उठाया ना था एक प्याला
आज उन्हीं के हाथ में झाड़ू कटका आया
धन्य हो लॉकडाउन जिसने घर काम का महत्व समझाया
आ मिल बैठकर करें हम काम ।
ताकि मिले सबको आराम।
जो सूत्र हम कह कर कर थक गए। वह लॉकडाउन में समझाया।
ऐसे में जब पहली बरसात का छींटा आया।
घर में भर गया तालाब
हर किसी के हाथ में झाड़ू कटका।
सब मिल काम कराया।
फिर शाम हुई बरसात का मजा संग पकौड़े उठाया ।
किसी ने काटी सब्जी
किसी ने घोला बेसन ।
मियां जी ने चटनी बनाई।
बच्चों ने है टेबल सजाई।
मम्मी ने है पकोड़े बनाए।
सबने मिल बांटकर काम किया।
और पकोड़े का लुफ्त उठाया।
हंसी मजाक के साथ बरसात का आनंद उठाया।
फिर सजी संगीत की महफिल सब ने गाना गाया।
और बरसात भी आनंद को चौगुना कर सबने मजा मनाया।
जो कभी संभव ना था वह लॉकडाउन ने संभव कर दिखाया ।
और बरसात में है अपना रंग जमाया। इसीलिए धन्य है
लॉकडाउन जिसनें हमसब को जिंदगी का पाठ पढ़ाया।