बङी बहन की व्यथा की कथा
बङी बहन की व्यथा की कथा
माना मैं हूँ बडी बहन
यह बात अब नहीं होती सहन।।
छोटा है भाई , छोटी है बहन
छीन लेते हैं मेरे रोजाना का चैन।।
करवाते मुझसे हर काम
पर कभी न देते कोई इनाम।।
करवाने के लिए काम में बन जाति हूँ प्यारी
वरना क्या मैं सूखी क्यारी।।
समझते हैं अपने को नवाब
और बना देते हैं मुझे जैसे हड्डी में कबाब।।
चाहे जाने हों नहाना या लगाना हो खाना
मुझसे करवा ही देते हैं काम करके बहाना।।
करवाते हुए काम कहते हैं होगा तेरा भला
और कर देते हैं मेरे आराम का तबादला।।
उठा लेते हैं कोई भी सामान और
पूछने लगते हैं उसका दाम
गड़बड़ करें कोई भी चाहे लगा देते हैं नाम।।
चलों भाई तो भाई है बहन है बहन
कर लूँगी उन्हें थोड़ा सहन
ठहरी मैं जो बड़ी बहन।।