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Priyanka Sarode

Abstract

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Priyanka Sarode

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बहुत अरसे के बाद

बहुत अरसे के बाद

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आज बहुत अरसे के बाद

वो पिटारा खोला है यादों का I 

बरसों से थी जो जिंदगी सिमटी हुई उसमें

आज फिर रूबरू हो रही है I 


स्कूल का बस्ता मिल गया

जिसमें थी लिपटी कभी हमारी दुनिया I 

नटखट थे हम; पर मासूमियत ज्यादा थी

शायद इसलिए वो दुनिया लाजवाब थी I 


कई बिछड़े दोस्तों से मुलाकात हुई

राही थे जो रास्तों के I 

उनसे कभी हमारा जहाँ आबाद था

न जाने कब उनके बिना जीना सिख गए I 


आज बहुत अरसे के बाद 

वो पिटारा खोला हैं यादों का I 


वो टूटी फूटी चीजें एक दास्ताँ बयाँ करती हैं

वो पहला खिलौना, वो पहला बक्शीस और

वो पहले प्यार की खुशबू।

तसवीरें उन पलों को कैद करे हुए

जेहन में हमेशा के लिए ।


और फिर मिल जाता है कहीं कोने में

वो जो कभी मैं हुआ करता था... I 

आज बहुत अरसे के बाद 

वो पिटारा खोला हैं यादों का I 


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