भगवान की दया
भगवान की दया
सही नहीं जाती मुझसे यह मन की टीस
रह भी नहीं पाती सहते हुए, मन मसोस
अपने भी हुए पराए, जब पिता स्वर्ग सिधरे
परिवार का भार आया अब कंधों पर मेरे
कहां जाऊं, क्या करूं, कुछ समझ न आए
घर के बाहर कदम रखी नौकरी के लिए
पढ़ाई-लिखाई किसी काम की न रही
घूस या सिफारिशों की धाक चल रही
छोटी-मोटी नौकरियों के लिए भी गए
वहां झपटने को खड़े भेड़िए मुंह बाए
दुनिया में जीने के लिए किधर जाऊं
किसका द्वार मदद के लिए खटखटाऊं
भगवान, आप के सिवा कोई नहीं है अपना
कोशिशों से हारकर आई आपके अंगना
किस्मत में मेरी न जाने क्या बदा हुआ है
ईश्वर ! आपके बिना कब क्या हो सका है।
भगवान के चरणों में अर्पित हुए हम सब
उन्हीं के हाथ छोड़ दिए अपना हाल सब
उनकी दया से नौकरी के रूप में मिला सहारा
उन्होंने दे दिया मेरी कश्ती को एक किनारा।
