समस्या - समाधान
समस्या - समाधान
१९५०, २६ जनवरी का वह महत्वपूर्ण दिन
भरा हुआ था खुशी से हर भारतीय का मन
था वह प्रथम वर्ष का प्रथम गणतंत्र दिन
स्वतंत्रता की खुशी से हरा था सब का मन
समय पंख लगा कर उड़ती चली गई
स्वतंत्रता की खुशी भी कम होती गई
हर वर्ष कोई न कोई समस्या बढ़ती गई
समस्या का समाधान भी समस्या बन गई
स्त्रियों की सुरक्षा पर लग गया प्रश्न चिह्न
निर्भया, दिशा जैसी बच्चियों पर आए दुर्दिन
कोई भी आज तक इसका न कर सका समाधान
अर्धरात्रि में नहीं दिन में भी न फिर सके भाग्यहीन
किस खुशी में हम सब पर्व और त्यौहार मनाएं
कौन सा समाधान पा सकीं हमारी समस्याएं
समाधान कर सकें तो खुशी से उत्सव मनाएं
वरना ये सब कुछ खानापूरी के समान हो जाएं
किसी न किसी समस्या से लोगों की बेमौत
अन्याय करने वालों का निर्बलों पर कुठाराघात
रिश्वतखोरी और बेरोजगारी हो रही सर्वत्र व्याप्त
किन पर कर सकें हम सब विश्वास सौ प्रतिशत!