भाग्य का निर्माता
भाग्य का निर्माता
श्रेष्ठ कर्मों कलम से जो भाग्य की रेखा खींचता
सुख वही पाता जो हर सम्बन्ध प्यार से सींचता
अपनी कर्मेन्द्रियों पर जिसने रखा हो नियन्त्रण
केवल वही करता अपने श्रेष्ठ चरित्र का चित्रण
लगाकर अपनी शक्ति जो खुद को पूरा बदलता
श्रेष्ठ भाग्य का सूरज उसके जीवन में निकलता
मन वचन और कर्म पर जो रखता है पूरा संयम
वही रख पाता जग में दैवी मर्यादाओं को कायम
उसके पुरुषार्थ के पथ पर कोई विघ्न नहीं आता
स्वयं को वही बनाता है अपने भाग्य का निर्माता।