बेटी से ही, घर की शान है
बेटी से ही, घर की शान है
बेटी से ही, घर की शान है।
बेटी से ही , घर का सम्मान है।।
अनमोल है जग में , बेटियां।
बेटी से ही , घर का मान है।।
बेटी से ही---------------------।।
मुकाम कौनसा , नहीं पाया बेटी।
देश की सत्ता , संभाली बेटी ने।।
नाप लिया आसमान, बेटी ने।
देश की शान, बढ़ाई बेटी ने।।
बेटों से नहीं कम, बेटियां।
बेटी ही घर का, अभिमान है।।
बेटी से ही--------------------।।
खुशकिस्मत है वह इंसान।
जिसके घर बेटी, पैदा हुई है।।
जिसने दिया, सम्मान बेटी को।
ख्याति उसकी, दुगनी हुई है।।
बेटी बिना , सूना है आँगन।
बेटी ही घर का, स्वाभिमान है।।
बेटी से ही----------------------।।
घर का वारिस, मानो बेटी को।
बेटी से भी, गौरव बढ़ता है।।
कोख में , नहीं मारो बेटी को।
बेटी से भी , वंश बढ़ता है।।
बनती है बेटी, बुढ़ापे की लाठी।
बेटी भी तो, एक सन्तान है।।
बेटी से ही--------------------।।