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ABHISHEK SIROHI

Inspirational

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ABHISHEK SIROHI

Inspirational

बेटी की विदाई

बेटी की विदाई

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कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का।

हंसी-खुशी सब काम हुआ था, सारी रस्म अदाई का।।


बेटी के उस कातर स्वर ने, बाबुल को झकझोर दिया।

पूछ रही थी पापा तुमने, क्या सचमुच में छोड़ दिया।।


अपने आंगन की फुलवारी, मुझको कहां सदा तुमने।

मेरे रोने को पल भर भी, बिल्कुल नहीं सहा तुमने।।


क्या इस आंगन के कोने में, मेरा कुछ स्थान नहीं।

अब मेरे रोने का पापा, तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं।।


नहीं रोकते चाचा ताऊ, भैया से भी आस नहीं।

ऐसी भी क्या उदासी है, कोई आता पास नहीं।।


बेटी की बातों को सुन के, पिता नहीं रह सका खड़ा।

उमड़ पड़े आंखों से आंसू, बदहवास सा दौड़ पड़ा।।


मां को लगा गोद से कोई, मानो सब कुछ छीन चला।

घर की फुलवारी के सारे फूल, जैसे कोई बीन चला।।


बेटी के जाने पर घर ने, जाने क्या क्या खोया है।

कभी न रोने वाला पिता भी आज, फूट-फूट कर रोया है।।

धन्यवाद 



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