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Mani Loke

Inspirational

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Mani Loke

Inspirational

बदलाव

बदलाव

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बदलाव नही जो आवे रहनसहन में,

बदलाव नही जो आवे सांसारिक सुखों में,

बदलाव तो वो है जो आये मानसिकता में,

इन्सानों की सोच में, समझ में, नज़रिये में,

बेटी भयो बड़ी तो काहे को डर सताये।

निर्भय हो कर हम काहे न उसे जिताएं।

जब तक है दरिंदगी इंसानों के भेस में।

हर बिटिया न हो निर्भया यही डर है सताए।

कुछ दीपक जलाकर कुछ नारें भी लगाकर।

इंसाफ की आस में क्यों हम वक़्त गवाएं ।

चलों बदलें इंसाफ की ये भाषा,

हैवानों को खुद हम इंसाफ सिखाएं।

जब तलक मिलेगा नही मृत्युदंड।

नही बदलेगा ये हैवान।

क्यों न हम इस हैवानियत की ज़मीन को बंज़र कर, इंसानियत फिर उगाएँ।

बदले मानसिकता को चलो, हैवानियत ही बदल डालें।

इंसानियत को जगाएं ,

निष्पाप समाज हम बनाएं।।



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