Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

4.8  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

बचपन के संस्कार-समाज को उपहार

बचपन के संस्कार-समाज को उपहार

1 min
527


अपना सभ्य समाज हो ,यह है सबकी दरकार,

चाहत है सबकी यही ,सबमें हों अच्छे संस्कार।

लोप हो रहा कहते हैं होकर ,हम सब ही लाचार,

संस्कारों की प्राथमिक पाठशाला ,होती है परिवार।


सुबह सुहानी होती जिस दिन ,वह ही पूरा अच्छा होता है,

बचपन का संस्कार प्रभाव ,परिलक्षित आजीवन होता है।

आचरण व्यक्ति का निज कुटुंब का ,सच्चा दर्पण होता है,

भाषा शैली का है अमिट असर, घट जाए पर न खोता है।


है फसल चाहिए जिस ढंग की ,बस बीज वही ही बोना है,

बाधा की अग्नि में तपकर ,कुंदन बनता संस्कारित सोना है।

तपस्या कर बचपन में बड़ों ने दिए, वट वृक्ष उन्हें तो होना है,

संस्कार मिले लख आचरणों को रहें, अमिट छाप न खोना है।


निज संतति को भौतिक साधन नहीं ,हम सब दें सुसंस्कारों का उपहार,

उनका अपना और सकल समाज का ,तब ही हो पाएगा सच्चा उपकार।

लक्षित कर निज धर्म को ,उचित कर्म करें ,हों हम सब सच्चे ईमानदार,

सरकारों को भी सुपथ दिखाएंगे, संस्कारयुक्त मानवों के सुंदर परिवार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational