बादल-क्या लगते हो तुम हमारे।
बादल-क्या लगते हो तुम हमारे।
इस नीले नीले बादलों को देखो
यह कितने अनोखे होते है।
सिर्फ एक रंग से दुनिया को
बदलने की क्षमता रखते है।
सूरज के किरणों को स्वयं
झेलते हुए हमको छाँव देते है।
सुबह में सूरज को और
रात में चाँद सितारों को
अपनी कैनवास में उतार
कर चित्र बनाते हैं।
तब मैंने बादलों से पूछा
क्या लगते हो तुम हमारे
क्योंकि हर दिन एक नया
और अनोखा नज़ारा दिखाते
हो हमे।
कभी नन्हे बच्चों को हाथी बनके,
हाथी का नज़ारा
कभी नवजवानों को ऊँचाई को
छूने का सपना
कभी एक औरत को उसकी
तरह आज़ादी से घूमने का नज़ारा
ताकि हर एक कोई सोचे
क्या मैं भी बदल बन सकता हूँ।
