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Bharat Mishra

Abstract

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Bharat Mishra

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औरत अगर बनेगी ज्वाला

औरत अगर बनेगी ज्वाला

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औरत अगर बनेगी ज्वाला

       तो महा प्रलय हो जाएगी

जिसका तुमने किया है शोषण

           बदला फिर वो चुकाएगी

ये हैवानों सुन लो जरा 

       वो धधकती ज्वाला होगी 

मां शक्ति की शक्ति समेटे

       प्रतयक्ष खड़ी मां काली होगी

पहन कर मुंडो की माला

         मचाएगी वो तांडव नर्तन

अब भी सचेत हो जा मानव

           साफ कर मन का मैल 

अगर ऐसे ही पाप करता रहा 

        पाप का घड़ा ये टूट जाएगा

औरत अगर बनेगी ज्वाला

         तो महा प्रलय हो जाएगी



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