अथाह है प्रेम
अथाह है प्रेम
और
क्या
कहूं
जो
कहना
हैं
मैं
कह
दिया
इसके
आगे
अनंत
है
शब्द
कहने
को
न
शब्द
खत्म
होंगे
न
भाव
खत्म
होंगे
यह
अथाह
है
क्योंकि
यह
प्रेम
है
यह
बंधन
से
परे
है।
और
क्या
कहूं
जो
कहना
हैं
मैं
कह
दिया
इसके
आगे
अनंत
है
शब्द
कहने
को
न
शब्द
खत्म
होंगे
न
भाव
खत्म
होंगे
यह
अथाह
है
क्योंकि
यह
प्रेम
है
यह
बंधन
से
परे
है।