Rajendra Singh
Comedy
अपना लगा पराया, अब सलाम किस बात की।
बंधी मुठ्ठी लाख की तो खुले मुठ्ठी खाक की।।
यह तो बताओ बंधा रहना चाहते हो या खुला,
बंधे रहने में ही कद्र है बात की।
दिलवर्
मुफ्लिसी
फैक्ट
पैसा...... पै...
दोस्त ---यार
अपना --- परा...
ये तुम्हारी या मेरी नहीं अपनी, है ये कहानी घर-घर की। ये तुम्हारी या मेरी नहीं अपनी, है ये कहानी घर-घर की।
रचनात्मक आन्दोलन चलानेवाले कविगण चिल्लाये/ चीखे रचनात्मक आन्दोलन चलानेवाले कविगण चिल्लाय...
हर दिन हमारी आँखों के सामने, हमारे आसपास इंसानियत का कत्ल होता है और हम कुछ करना तो दूर कुछ कहते भी ... हर दिन हमारी आँखों के सामने, हमारे आसपास इंसानियत का कत्ल होता है और हम कुछ करना...
कल रात पूजा पंडाल मेंं अजीब बात हो गई। कल रात पूजा पंडाल मेंं अजीब बात हो गई।
चाहते हो शान्ति सुख व निरोग काया योग सभी को कर बांए। चाहते हो शान्ति सुख व निरोग काया योग सभी को कर बांए।
अपने सभी परिजन को देख ले आखरी बार यामलोक तू जाने को अब हो जा तैयार अपने सभी परिजन को देख ले आखरी बार यामलोक तू जाने को अब हो जा तैयार
नेताजी की शेरवानी के बटन होल में नेताजी की शेरवानी के बटन होल में
ऊपर से जाने कहांँ से मिल गया उसे वरदान में सुपर पावर। ऊपर से जाने कहांँ से मिल गया उसे वरदान में सुपर पावर।
मज़ाक और रसमलाई दोनों का हिसाब बराबर चुकाया। मज़ाक और रसमलाई दोनों का हिसाब बराबर चुकाया।
अब आप ही बताइए इसमें मेरा क्या है दोष। अब आप ही बताइए इसमें मेरा क्या है दोष।
हिन्दू मुस्लिम की खाई को देना है पाट, अरे कभी खा के तो देखो मजेदार पापड़ी चाट। हिन्दू मुस्लिम की खाई को देना है पाट, अरे कभी खा के तो देखो मजेदार पापड़ी चाट।
हुआ ऐसा 4,5 मकान छोड़ के सामने वाले घर में मैंने देखा किसी को लंबे बाल आगे लेकर पोंछते हुआ ऐसा 4,5 मकान छोड़ के सामने वाले घर में मैंने देखा किसी को लंबे बाल आगे लेकर ...
प्रभु! क्षमा चाहता हूं आना तो मैं दिन में ही चाहता था, प्रभु! क्षमा चाहता हूं आना तो मैं दिन में ही चाहता था,
हुस्न का दीदार होते ही हमारी कमबख्त आंखें दगा दे जाती हैं. हुस्न का दीदार होते ही हमारी कमबख्त आंखें दगा दे जाती हैं.
बहुत दिनों से मैं सोच रहा था कि काश! मैं भी भगवान होता। बहुत दिनों से मैं सोच रहा था कि काश! मैं भी भगवान होता।
रावण की जगह लेने की कोशिश भी न करो, रावण की जगह लेने की कोशिश भी न करो,
जानूँ ! सारी !! मुझे देर हो गई !’ प्रीति पर्व की लो ढेरों बधाई !! जानूँ ! सारी !! मुझे देर हो गई !’ प्रीति पर्व की लो ढेरों बधाई !!
एक दिन मामला ऐसा बिगड़ा कि पड़ोसी पड़ोसन का हो गया आपसी झगड़ा। एक दिन मामला ऐसा बिगड़ा कि पड़ोसी पड़ोसन का हो गया आपसी झगड़ा।
साँच को आंच नहीं आती, और झूठ के पांव नहीं होते। साँच को आंच नहीं आती, और झूठ के पांव नहीं होते।
बैठे बैठे कहते है हर घर की के जीजा, अब कभी न मँगवाना बाहर से पिज्जा। बैठे बैठे कहते है हर घर की के जीजा, अब कभी न मँगवाना बाहर से पिज्जा।