Pradip Hiwarkhede
Abstract
कुछ तो अफसाने
लिखती ए जिंदगी,
हमारे भी किरदार में,
ऐसे यूं तड़पके जीना अब,
अच्छा नहीं लगता।
जिने देना ए ज...
अफसाने..
बदसुलकी..
तेरी मेरी राह...
कशमकश
कुछ खास तो नह...
घमंड हैं क्या...
कभी कभी लगता ...
बेवजह तो नही ...
रुठे हैं
महंगाई का ना हो विस्तार बेईमानी का हो झट उपचार नव वर्ष में कान्हा जी ऐसी बंशी मधुर बजाना। महंगाई का ना हो विस्तार बेईमानी का हो झट उपचार नव वर्ष में कान्हा जी ऐस...
इन्सानियत ये बस एक शब्द नहीं अपनेआप में पूरी दुनिया को ज़िंदा रखने की कवायद है। ..हमसब मिलकर यदि ... इन्सानियत ये बस एक शब्द नहीं अपनेआप में पूरी दुनिया को ज़िंदा रखने की कवायद है।...
सावन को भी तो अभी आना ही होगा तपन जलन का ज्वाला सहना होगा तभी तो बरखा बूंदों में बंट कर सीं... सावन को भी तो अभी आना ही होगा तपन जलन का ज्वाला सहना होगा तभी तो बरखा बूंद...
पूर्णता का एहसास ख़्वाबों की बात हो गया, जीवन तो बस वनवास पूर्णता का एहसास ख़्वाबों की बात हो गया, जीवन तो बस वनवास
चमक उठी है आँखें कब से,सपनों से भरी पड़ी, उन सपनो को पूर्ण करूँ, वह चाह रही है कब से। चमक उठी है आँखें कब से,सपनों से भरी पड़ी, उन सपनो को पूर्ण करूँ, वह चाह रही ह...
क्योंकि विद्या ना आना अन्धकार है, पिछड़ापन है, अगतिशीलता है। क्योंकि विद्या ना आना अन्धकार है, पिछड़ापन है, अगतिशीलता है।
माँ प्यार जताती है ,पिता बीएस ज़िम्मेदारी निभाता मन ही मन लाडॉर चेहरे पे डाट लिए फ़र्ज़ निभाते है माँ प्यार जताती है ,पिता बीएस ज़िम्मेदारी निभाता मन ही मन लाडॉर चेहरे पे डाट लिए ...
गरीब हूं तन से मन से अमीर दर्द है साथी जिंदा जमीर समय के साथ बदले तकदीर। गरीब हूं तन से मन से अमीर दर्द है साथी जिंदा जमीर समय के साथ बदले...
कि एक दिन इस तरह अंधेरे से घिर जाऊँगा कि किसी को भी नज़र नहीं आऊँगा। उसमें तो सिर्फ़ जूनून है कि एक दिन इस तरह अंधेरे से घिर जाऊँगा कि किसी को भी नज़र नहीं आऊँगा। उसमे...
खेल ये दौड़ता लोगों की नस-नस में हैं, यहाँ इसके सौ करोड़ प्रशंसक है। खेल ये दौड़ता लोगों की नस-नस में हैं, यहाँ इसके सौ करोड़ प्रशंसक है।
समय के साथ इतिहास भी जीवन की तरह बदलता है राजा को रंग और फ़क़ीर को करोड़पति बना देता है ये ... समय के साथ इतिहास भी जीवन की तरह बदलता है राजा को रंग और फ़क़ीर को करोड़पत...
एक पिता अपने बच्चे को हर ख़ुशी देना चाहता और कमी होने पर उसके दिल में उठने वाले क़सक को दर्शाती कविता एक पिता अपने बच्चे को हर ख़ुशी देना चाहता और कमी होने पर उसके दिल में उठने वाले ...
रूबरू थे हम दोनों फिर भी सदियों का फासला मानो उन दो किनारों की तरह रूबरू थे हम दोनों फिर भी सदियों का फासला मानो उन दो किनारों की तरह
ख़ुश और सुखी रहने के लिए जरूरी है कि हम खुद से ईमानदार रहें,दुआ दवा से ज़ियादा असर करती है। ...... ख़ुश और सुखी रहने के लिए जरूरी है कि हम खुद से ईमानदार रहें,दुआ दवा से ज़ियादा असर...
मेरे लफ़्ज़ों के अनकहे जज्बातों में खो जाती हैं यह चूड़ियां, कि खुद के होने भर की आहट तक नहीं बत... मेरे लफ़्ज़ों के अनकहे जज्बातों में खो जाती हैं यह चूड़ियां, कि खुद के होने ...
पूछती हूँ मैं ! क्या निर्बलों की यही है एक नियति ! यथार्थ में ! कोई तो बोलो। पूछती हूँ मैं ! क्या निर्बलों की यही है एक नियति ! यथार्थ में ! कोई ...
अपने शब्दों में स्वयं अपनी कथा कहे जीवन ऊंचाइयों -गहराइयों में स्वयं सिद्धा रहे। अपने शब्दों में स्वयं अपनी कथा कहे जीवन ऊंचाइयों -गहराइयों में स्वयं सिद्धा र...
मौत के बाद ही भूख ग़रीब का साथ छोड़ती है ,भूख गरीब की सबसे वफादार साथी जो होती है। ... मौत के बाद ही भूख ग़रीब का साथ छोड़ती है ,भूख गरीब की सबसे वफादार साथी जो होती है।...
शीतल अहसास कराती है वो बूंदें मरहम बन जाती है जीवन तब गान सुनाता है, कलियों का चमन खिल जात... शीतल अहसास कराती है वो बूंदें मरहम बन जाती है जीवन तब गान सुनाता है, क...
तू है कि फिर मुस्करा के आगे कदम बढ़ा लेती है। तू है कि फिर मुस्करा के आगे कदम बढ़ा लेती है।