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Meenu Nagpal

Inspirational

3  

Meenu Nagpal

Inspirational

अनोखी राखी

अनोखी राखी

2 mins
39


चलो इस राखी तुम सबको

एक कहानी नयी सुनती हूं

इसमें ना कोई भाई है

दो बहनों से मिलवाती हूं


बचपन से सुनती आई थी

दो बहने हो बस भाई नहीं

मां को देखा सहते ताना

क्यों देती इनको भाई नहीं

वो समझ ना पाती थी यह सब

क्यों भाई जरूरी था इतना

दो बहने क्या काफी ना थी


क्यों मां सुनती सबका ताना

एक दिन वो त्योहार का आया

चारों तरफ उत्साह छाया

हर त्योहार का थी वो अब तक हिस्सा

क्यों इस बार उनका ना त्योहार आया

वह पूछ ही बैठी मां से उस दिन

क्यूं राखी नहीं भाई के बिन

हम दो बहने एक साथ है फिर

क्यूं सुनी कलाई राखी के बिन


मां बोली रक्षा करता भाई

यह रीत सदियों से चले आई

यह राखी नहीं सिर्फ एक धागा

वचनों से बना है यह धागा

जिसकी कलाई पर बंध जाए

मीठा रिश्ता उसे दे जाए

फिर हाथ में उनके एक थाली थी

जिसमे रोली और राखी थी

दोनों को देकर एक एक राखी

बोली बांधो एक दूजे को राखी

एक दूजे की रक्षा अब

तुम को कर के दिखलाना है

राखी से मिला ये वादा अब

तुम दोनों को निभाना है 


एक दूजे की कलाई पर

फिर बांधी दोनों ने राखी

इस बार दोनों बहनों की भी

आयी थी प्यारी राखी

रक्षा और विश्वास का ये

मीठा सा त्योहार होता राखी

दोनो बहनों का भी तो

त्योहार हो सकता राखी 


देख कलाई पर राखी

आंखों में खुशी सी छाई थी

चेहरे पर उन दोनों के

एक नई चमक सी आई थी 

इस बार मनायी थी उन

दोनों बहनों ने अपनी राखी

हर साल सजेगी कलाई पर

अब विश्वास वाली ये राखी 


इनका ना कोई भाई था

दो बहनों की थी ये राखी

एक नयी रीत ले आयी

इन दो बहनों की अनोखी राखी 



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