अंधविश्वास
अंधविश्वास
अंधविश्वास न तुम शब्द समझना खुद में रखना बस न ढुढ़ना।
जीवन के सच में राजनीति के पथ पर अंधविश्वास तुम राजनेता पर न करना।
आज स्वप्निल बस ख्वायिशों के होंठों पर अंधविश्वास की तुम छाप न बनना।
हम सभी के जीवन में प्यार का अंधविश्वास का नाम सच के रंग न तुम ढुढ़ता।
अगर जीवन में तुम खुशी जो चाहो सदा संग साथ एक झूठ नारी का अंधविश्वास करना।
पुरुष बेचारा मन भावों का प्यासा बस नारी के नैन मटक्का के अंधविश्वास को माना।
सच सच तो मैं अंधविश्वास मन की बात बस तुमको आज कहना।
अपने अपने जीवन में अंधविश्वास का मन में पौधा न कभी लगाना।
अंधविश्वास आज कलयुग का जीवन बह आँख बन्द कर सच को तुम छुपाना।
अंधविश्वास नीरज संग स्टोरी मिरर का सच बस इतना पढ़कर भूल न जाना।