अक्सर ज़िन्दगी
अक्सर ज़िन्दगी
अक्सर ज़िन्दगी चुप-चुप सी रहती हैं,
क्यूँ ये ज़िन्दगी मासूम सवाल करती हैं।
तन्हा हर महफिलों से पूछती रहती हैं,
क्यूँ ये ज़िन्दगी मासूम सवाल करती हैं।
जहां अत्याचारी ही मासूमों पर रहती हैं,
क्यूँ ये ज़िन्दगी मासूम सवाल करती हैं।
विवशताओं से भरी वे लाचार रहती हैं,
क्यूँ ये ज़िन्दगी मासूम सवाल करती हैं।