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Anooshika Shrinidhi

Abstract

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Anooshika Shrinidhi

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ऐ ज़िंदगी!

ऐ ज़िंदगी!

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ऐ ज़िन्दगी !

मेरे अपनों को

कभी एहसास कराना


उनके लिए प्यार अथाह

कभी ये थाह लगाना

जीवन ही जिनसे शुरू किया


उनसे मोहब्बत बेपनाह बतलाना

कुछ गुस्ताखियों की

माफी की अर्जी लगाना


ऐ ज़िन्दगी !

मेरे अपनों को कभी

मेरा दर्द भी दिखलाना


जो लफ़्ज़ों में न हो बयां

वो बातें सुनाना

तकलीफ जो कभी दी हम

रोये बेज़ार ये जतलाना


बदनीयती नहीं हमारी लेकिन

बदकिस्मती है ये समझाना।


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