ऐ मेरी मंजिल
ऐ मेरी मंजिल
मेरी मंज़िल जानती है,
मेरी प्रयासों को
और मैं कितना लड़ता हूँ
इसे पाने को।।
और ये ना गवारा लोग
कह रहे हैं,
गलत रास्ते पे चल रहा है
अरे कोई तोह समझाओ
इस दीवाने को।।
यूँ ही अगर चलता रहा
तो बर्बाद हो जाएगा
खो देगा जवानी को,
और कुछ न ये पायेगा
बिखर जाएगा इस दुनिया में
और टूट कर रह जाएगा।।
ए मेरी मंज़िल
तू बता इस ज़माने को
भले खा रहा हूँ ठोकर
अभी में दरबदर
लेकिन तुझ तक में आऊंगा
और जो लोग देख रहे हैं
मुझे गिरता हुआ,
उन सभी से केहदो
मैं नालायक नाकारा
एक दिन उन्हें आबाद
होके दिखाऊंगा।।
