अधूरापन ही पूरा है
अधूरापन ही पूरा है
पूरा
कुछ भी
नहीं होता
अधूरेपन
को ही
हम पूरा
कहते हैं ,
जिस दिन
अधूरापन पूरा
हो जाता है
उसके
अगले
पल ही
वो
अधूरेपन में
तब्दील
हो जाता है,
अधूरापन
हीं सत्य है
शाश्वत है
प्रेम भी
शब्दों में
अधूरा
होता है
भाव में
अधूरा
होता है
दिलोदिमाग
और
जेहन में
जब घर
कर जाता है,
तो भी
अधूरा
होता है
अपने
अस्तित्व में
अधूरा
होता है
अधूरपन
ही
शाश्वत है.
