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Archana Rahurkar

Abstract

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Archana Rahurkar

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अधुरी जिंदगी

अधुरी जिंदगी

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बहुत ख्वाहिशें है जिंदगी में

पर बेबस लगती है जिंदगी l

तुम्हारे बगैर फिर भी अधुरी

सुनसान है जिंदगी।


वक्त के हालात बदल देते हैं

कोई साथ देते है तो

कोई छोंड जाते है

टूटकर बिखरती है जिंदगी।


गम ऐ जिंदगी से शिकवा नहीं

क्या करे बहोंत कुछं चाहतें हुए

भी हालात से मजबूर है हम

और बेबस हैं जिंदगी।


मिलना, बिछंडना किस्मत का

खेल हैl

आरजू रखते है दिल की ख्वाहिश

पर हर एक तमन्ना नहीं होती पूरी

फिरभी पागल दिलं ना सुने किसी की।


दिल तो चाहें तुम्हे अभी

आकर मिल लूं l

ये बंधन और पैरो में जंजीर

किसी के गिरफ्तारमें है जिंदगी।


हम जिंदगी में नहीं आ सकते

दूर रह कर ही साथ निभाना हैं

ये जानते हुए भी अंजान है जिंदगी।


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